Reality of Indian Education System | Why B.A./B.Com/BBA/B.SC ETC Is Killing your Career?

द इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में एंप्लॉय बिलिटी 50% से भी कम है, इसका मतलब यह होता है कि कितने ऐसे स्टूडेंट हैं, जिन्होंने कोई डिग्री हासिल कर रखी है, और वह नौकरी पे रखे जा सकते हैं,।उनको एंप्लॉयमेंट दिया जा सकता है।  अब जितने भी ग्रेजुएट स्टूडेंट्स हैं उनमें से क्या 50% भी ऐसे नहीं है जिन्हें नौकरी दी जा सके? यही सच्चाई है।


Reality of Indian Education System | Why B.A./B.Com/BBA/B.SC ETC Is Killing your Career?

Reality of Indian Education System | Why B.A./B.Com/BBA/B.SC ETC Is Killing your Career?


बीए, बीकॉम, बीएससी सभी का बहुत बुरा हाल है।  इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट की एक स्टडी कहती है कि जितने भी जाबलेस लोग हैं हमारे देश में उनमें 82.9% युवा हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि 53% बिजनेसेस ऐसे हैं जो लोगों को रिक्रूट ही नहीं कर पाते क्योंकि जो एप्लीकेंट से उनके अंदर स्किल्स ही नहीं होती।  क्या है इतनी बड़ी वजह कि लोगों के अंदर स्किल्स पैदा नहीं हो पा रही है? सारी बातें आज मैं आपसे डिटेल्स में शेयर करूंगा, और आपको क्या करना चाहिए, कौन से स्किल्स आपके अंदर होने चाहिए, कैसे एक बेटर जॉब आप हासिल कर सकते हो।  यह सारी बातें भी सिलसिलेवार तरीके से आपके सामने विद फैक्ट्स रखू। 


India Employment Report 2024
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दोस्तों ये कहना गलत नहीं होगा कि हमारे देश में वर्थलेस डिग्रीज एक अन एंप्लॉय बल जनरेशन को क्रिएट कर रही हैं।  क्योंकि हम पढ़ाई क्यों करते हैं? एक यंग मिडिल क्लास लोअर मिडिल क्लास का बच्चा पढ़ना क्यों चाहता है? उसके पीछे सिर्फ पैसा वजह नहीं होती, सोशल स्टेटस को दिखाने के लिए कि समाज में उसको पढ़ा लिखा समझा जाए, इस वजह से भी वो डिग्री हासिल करना चाहता है।  ये कहना बहुत अच्छा लगता है, कूल लगता है कि मैंने एमए किया हुआ है, बीटेक किया हुआ है, कहां से किया हुआ है, कित कितना किया हुआ है, क्या सीखा हुआ है, कितने स्किल सेट हमारे अंदर हैं,।इस परे हम ध्यान नहीं देते हैं।  

 

दूसरी चीज शादी जी हां बिल्कुल सही सुना आपने हमें इसलिए भी पढ़ना पड़ता है, क्योंकि शादी में बड़ा इसका इंपॉर्टेंट रोल होता है।  कोई लड़की खास तौर से मैं लड़कियों की अगर बात करूं तो पड़ी लिखी लड़की एक क्राइटेरिया होता है, शादी करने के लिए बहुत सारी लड़कियां ओपन से ग्रेजुएशन कर रही होती हैं, जॉब के लिए नहीं वो सिर्फ इसलिए पढ़ रही होती हैं, कि समाज में उन्हें पढ़ा लिखा समझा जाए कि वो ये कह सके कि हमने ये डिग्री हासिल की हुई है, सिर्फ इतना दिखाने के लिए यह सच्चाई आज के समाज की है।  

 

तीसरी एक सबसे बड़ी वजह जो हम डिग्री के पीछे भागते हैं वो ये है कि हमें गवर्नमेंट जॉब करनी होती है गवर्नमेंट जॉब का एग्जाम देने के लिए, जो क्राइटेरिया है वो रखा जाता है कि ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन क्राइटेरिया है तो ही आप ये एग्जाम दे सकते हो।  ये तीन बड़ी वजह है जिसकी वजह से हम ये भूल जाते हैं कि किस कॉलेज से कर रहे हैं, कहां से कर रहे हैं, बस हम डिग्री हासिल करने में लग जाते हैं।  मल्टीपल डिग्रीज हासिल करके बैग में भर लेते हैं पूरा पुलिन बन जाता है, लेकिन उनका कोई फायदा हमें एक्चुअल में नहीं मिलता है।  बहुत सारी ऐसी रिपोर्ट्स हैं जो कहती हैं कि हमारे देश के अंदर आने वाले समय में 50% युवा अन एंप्लॉय बल हो जाएगा।  यानी वो इस लायक ही नहीं होंगे कि उन्हें जॉब मिले, ये चिंता की बात है, इसी के ऊपर मैंने एक न्यूज़ पेपर आर्टिकल पोस्ट भी लिखा था, अभी कि ओपन यूनिवर्सिटी से पढ़ने के क्या-क्या आपको नुकसान झेलने पड़ते हैं, ओपन यूनिवर्सिटी जबकि सच्चाई कुछ और कहती है।  मैंने जो भी बातें कही थी वो फैक्टस के साथ कही थी, कुछ लोगों ने कहा कि ओपन यूनिवर्सिटी से बढ़िया तो है हमारी फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं होती, हम छोटी-मोटी जॉब कर लेते हैं, और साथ में हमारी पढ़ाई भी चल रही होती है, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं क्या अगर आप एक 18 साल के लड़के हो एक 18 साल की लड़की हो और स्कूल खत्म होने के बाद ये कौन सा फ्यूचर ये कौन सी पढ़ाई है जहां आपसे कह दिया गया है कि कोई छोटी-मोटी जॉब ढूंढ लो? ओपन से पढ़ाई करते रहो और फिर जिंदगी भर अपना करियर ढूंढते रहना।  आपको कोई शुअरेटी नहीं है कि आप आगे करोगे क्या? यह बात आप भी अच्छे से जानते हो कि ओपन से पढ़ने में या बीए या कोई ऐसी डिग्री कहीं से भी हासिल करने में डिग्री मात्र से आपको कहीं कोई जॉब नहीं मिलती है, किसी इंटरव्यू में जाके कहो कि मैंने ओपन से बीए किया हुआ है, मैं ओपन से बीकॉम करके बैठा हूं, आपको नौकरी में वहीं पर ही रिजेक्ट कर दिया जाता है, ऐसा मैं नहीं कह रहा आप लोग जो खुद वहां से पढ़ के आते हैं जॉब करने जाते हैं उनको ये सब फेस करना पड़ता है।  


Reality of Indian Education System
 

कुछ लोगों ने कहा कि हम ओपन से इसलिए पढ़ना चाहते हैं कि हम कोई गवर्नमेंट एग्जाम को प्रिपेयर कर सके बड़ा फायदा हो जाता है, साथ के साथ हम प्रिपरेशन करते रहते हैं, और हमारी ग्रेजुएशन भी चल रही होती है।  जब मैं गवर्नमेंट एग्जाम की बात करता हूं तो इसमें कुछ कहने के लिए ज्यादा बचता ही नहीं है, कितने गवर्नमेंट वेकन्सी आपको निकलती हैं, कितने एग्जाम आप दे पाते हो, ये आप भी अच्छे से जानते हो एक वेकन्सी निकलने में सालों लग जाते हैं, फिर उसका पेपर लीग हो जाता है, फिर उसके लिए एक जॉब के लिए लाखों कैंडिडेट्स अप्लाई कर देते हैं, आपकी सक्सेस के कितने चांस है, मुझे आप ये बता दीजिए इतना स्ट्रगल क्यों है।  मेरा सवाल ये है कि इतना स्ट्रगल 18  19 साल की बच्ची की लाइफ में स्कूल खत्म होते क्यों आ जाता है? क्या कमी है क्या हमें सिस्टम पे सवाल नहीं उठाना चाहिए क्या हमें उन बच्चों के लिए नहीं सोचना चाहिए जो इतने पैसे वाले घर से नहीं आते कि किसी रेगुलर कॉलेज में या किसी बड़े प्राइवेट कॉलेज में जाके पढ़ सके, उनकी क्या गलती है?

 

मैं आप लोगों के लिए आवाज उठा रहा हूं, रही बात ओपन से पढ़ने की मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है मैंने कभी नहीं कहा कि ओपन यूनिवर्सिटी से बिल्कुल मत पढ़ो मेरा सवाल ये है कि इतने सारे स्टूडेंट ऐसा वहां क्या कर रहे हैं जो सब वहां पढ़ाई कर रहे हैं और जिनका किसी का भी फ्यूचर शुवर नहीं है कि वो क्या करेंगे आगे वो सिर्फ एक रैंडम जॉब की तलाश में रहते हैं कि कहीं कोई मेरी सेटिंग हो जाए अगर किसी का लक काम कर जाता है तो उसको तो कोई ढंग की जॉब मिल जाती है अदर वाइज कोई इंसान अपना छोटा-मोटा बिजनेस खोल के बैठता है, कोई छोटी-मोटी दुकान खोल लेता है, क्योंकि उसको जॉब अपॉर्चुनिटी मिल ही नहीं पाती कुछ लोगों ने ये भी कहा कि आपको आईडिया नहीं है कि ओपन के एग्जाम कितने मुश्किल होते हैं कितनी मुश्किल से वो पास किए जाते हैं।


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मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि मैं IGNOU से भी पढ़ा हूं मैं IIM से भी पढ़ा हूं मैंने दे रखे हैं सारी सच्चाई जानता हूं कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि जो पढ़ने वाला होता है वो कहीं से भी पढ़ लेता है, लेकिन ऐसे कितने लोग हैं जो खुद से पढ़ लेते हैं, ये भी आप अपने आप से सवाल पूछना कि आप खुद से कितनी बार पढ़ते हो, क्या डेली पढ़ पाते हो। आठ आठ घंटे तो रील्स देखने में निकाल देते हो सारा टाइम तो वहां खत्म हो जाता है, रेगुलर क्लास के मैं हमेशा पक्ष में क्यों रहता हूं क्यों मैं बिना क्लास के सिस्टम के खिलाफ हूं, उसके पीछे वज है मान लीजिए आप किसी ऐसे बच्चे की बात करें जो बहुत ज्यादा पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं रखता है, उस बच्चे को एक सजा दी जाए कि रोजाना 4 घंटे उसे लाइब्रेरी में बैठना है वहां वो क्या करेगा पहले दिन वो कुछ नहीं पढ़ेगा दूसरे दिन कुछ नहीं पढ़ेगा लेकिन तीसरे दिन वो बोर हो जाएगा और कोई ना कोई किताब खोल ही लेगा ये फर्क होता है हमारे आसपास के माहौल का एनवायरमेंट का। इसीलिए रेगुलर क्लास चाहे हफ्ते में दो दिन ही क्यों ना हो, एक घंटे की ही क्यों ना हो, अगर क्लास रेगुलर आप लेते हो उससे कहीं ना कहीं आपको फायदा होता है। आपको एक माहौल मिलता है, एक गाइडेंस मिलती है, आप अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचा पाते हो, उनकी बातें सुन पाते हो एक एक टीचर और एक प्रोफेसर ना आपकी लाइफ में एक ब्लेसिंग होता है उसका पता आपको तब लगेगा जब आपका कोई टीचर नहीं होगा। दोस्तों आईएमएफ ने प्रिडिक्ट किया है 40% जॉब कट AI के आने से  हो जाएंगी। कौन सी है वो जॉब वो ज्यादा इंपोर्टेंट है डेटा एंट्री क्लर्क की टेलीमार्केटर की कैशियर की ये इस तरह की जॉब्स हैं जो बेसिकली बीए बीकॉम बीबीए बीएससी करने वाला स्टूडेंट कर लेता था, कि चलो कुछ नहीं मिल रहा यही कर लेते हैं, लेकिन अब ये जॉब्स भी आपके लिए अवेलेबल नहीं रहेंगी। तो हमें करना क्या है वो सुनिए यह बात बिल्कुल सही है कि जो हमारा एजुकेशन सिस्टम है उसमें कुछ अभी खामियां हैं, आज के दौर से वह मैच नहीं करता है अब जमाना बदल गया है हमें हमारे एजुकेशन सिस्टम में खास तौर से हायर एजुकेशन सिस्टम में कुछ बदलाव लाने जरूरी हैं।


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ये काम है सरकार का तो ये पोस्ट उन लोगों तक पहुंचाए जाए उनके भी कानों में डाला जाए हमारी हमारी स्ट्रेटेजी क्या रहनी चाहिए हमें सच्चाई में जीना चाहिए, सच ये कहता है कि अभी एक सर्वे हुआ था ग्लोबल रैंकिंग 2024 हुई थी जितनी भी दुनिया में यूनिवर्सिटी हैं, वहां हमारे देश की कोई यूनिवर्सिटी टॉप 100 में भी नहीं आई, मुंबई यूनिवर्सिटी जो 149 नंबर पे रही और दिल्ली यूनिवर्सिटी जो 197 नंबर पे रही, तो हमें ये जान लेना चाहिए कि कहीं से भी हम पढ़ रहे हैं वहां ऐसा सिस्टम तो नहीं है जो हमें बहुत अच्छा बना देगा लेकिन हमें अच्छा बनना है, कैसे बनना है, हमें पहले ही विजन बनाना है, हम करना क्या चाहते हैं, अंधेरे में तीर मारना बंद करना है, बहुत सारे बच्चे लाखों बच्चे ऐसे हैं जो सिर्फ पढ़ाई कर रहे होते हैं, बीए कर रहे हैं, बीकॉम कर रहे हैं, उनसे पूछो क्यों कर रहे हैं उन्हें नहीं पता होता बीकॉम करके क्या-क्या करने वाले हो, आगे उन्हें नहीं पता होता उनको खुद आईडिया नहीं होता कि उनका गोल क्या है, आज अभी बैठ के आफ्टर 12th आपको सेट करना है, कि मेरा प्लान क्या है, दोस्तों हमें हमारा विजन बना के रखना है हमें पहले ही पता होना चाहिए कि हमें आगे करना क्या है, ताकि हमारा टाइम वेस्ट ना हो हम वहां ना फंस जाए कि हम बीच में बैठ के 3 साल बाद बैठ के सोच रहे हो कि अब क्या करूं। फॉर एग्जांपल अगर आपको लॉयर बनना है तो सिंपली एलएलबी करनी है, आपके माइंड में क्लियर होना चाहिए अगर आप कोई इंटीरियर डिजाइनर का कोर्स कर रहे हो तो आपको पता है ना कि आगे चलकर आप क्या बनोगे एक इंटीरियर डिजाइनर बन जाओगे । अगर आपको एक मेकअप आर्टिस्ट बनना है तो मेकअप आर्टिस्ट का कोर्स करो, कैमरामैन हो तो फोटोग्राफी का कोर्स करो, वीडियो एडिटर बनना है वीडियो एडिटिंग का कोर्स करो, ये ऐसे प्रोफेशनल कोर्स है जो आपको पता होता है करते हुए कि आप आगे चलकर क्या बनेंगे, आपको जर्नलिज्म में जाना है जर्नलिज्म का आज कोर्स कर लो ना बीए करके बीकॉम करके आपका प्लान क्या है वो प्लान आज बनाओ।

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अगर आपको नॉर्मल पढ़ाई करनी है आप वेल टू डू फैमिली से आते हो तो आराम से रेगुलर कॉलेज से या किसी प्राइवेट कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन करो बीए करो बीटेक करो जो आपको करना है तब प्रॉब्लम नहीं है, प्रॉब्लम उस बच्चे के लिए है जो गरीब परिवार से एक मिडिल क्लास फैमिली से जहां तीन चार साल बाद उससे पूछा जाएगा कि बेटा क्या करने का इरादा है, अब कौन सी जॉब आपकी लग सकती है 2 साल बाद क्या आपका फ्यूचर बनेगा उसके लिए समस्या है। तो आज सोचो ना बहुत सारे ऐसे कोर्सेस हैं, फॉर एग्जांपल एमबीबीएस कोई कर रहा हो उसे पता होता है ना उसे डॉक्टर बनना है, लेकिन अगर मैं आंख बंद करके किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से किसी ओपन यूनिवर्सिटी से या किसी ऐसी वैसी ही यूनिवर्सिटी से सिर्फ बीए करके बैठ गया बीएससी करके बैठ गया तो मेरे पास अब करियर ऑप्शन क्या है।


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अब मैं सब पे डिपेंड हो जाऊंगा, मेरा स्ट्रगल यहां से चालू होगा और मुझे ये स्ट्रगल नहीं करना है, स्ट्रगल करो अपनी फील्ड के अंदर वहां पे अपने आप को रगड़ो और चमक के दिखाओ, ऐसे नहीं, इधर-उधर धक्के खाने में स्ट्रगल नहीं करना है। अगर आपको गवर्नमेंट जॉब की भी प्रिपरेशन करनी है ना तो पहले से डिसाइड करके रखो कि भाई गवर्नमेंट जॉब के लिए मुझे पढ़ाई करनी ही पड़ेगी।  ग्रेजुएशन को भी बहुत सीरियसली लो उसमें जो भी आपके सब्जेक्ट्स हैं, जितनी भी आपको चीजें करनी है, उनको अच्छे से पढ़ो समझो अप्लाई करो जो आपके गवर्नमेंट जॉब में जो आपका सिलेबस है उसको भी साथ के साथ पढ़ते रहो, इससे आपके सक्सेस के चांस से ज्यादा होंगे वरना कंपटीशन हर फील्ड में बेइंतहा है।  आप कितने प्रोफेशनल हो कितने सीरियस हो किसी चीज को लेके ये आपको डिसाइड करना है, तभी आप कामयाब हो सकते हो।  मेरा फर्ज है, मेरा फर्ज है आपको सच बताना, मैं ये सब क्यों कह रहा हूं, मेरा क्या फायदा है मैंने कोई प्रमोशनल पोस्ट नहीं किया है, मैंने आपसे ये नहीं कहा कि ये इंस्टिट्यूट जॉइन कर लो, मैं ये सब इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मैं आपका भला चाहता हूं, जो प्रॉब्लम जो दिक्कतें जो समस्याए मैंने सही, मैंने झेली और मैंने अपने दोस्तों को अपने आसपास के लोगों को करते हुए झेलते हुए देखा, मैं नहीं चाहता कि वो चीजें आप भी झेलो।  

 

आज डिसाइड करो बच्चों, अगर आपको कोई भी करियर काउंसलिंग से रिलेटेड दिक्कत हो रही है, कुछ पूछना हो कोई पोस्ट चाहते हो, मुझे कमेंट में लिख के जरूर बताना पोस्ट अगर पसंद आई हो तो कमेंट करना।  इस तरह की करियर गाइडेंस पोस्ट आपको मिलती रहेंगी, मिलते हैं नेक्स्ट पोस्ट में तब तक के लिए सुखी रहे स्वस्थ रहे बाय।

  



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